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World Most Brutal Dictators Uganda Idi Amin Killed Thousands Of People

World Most Brutal Dictators Uganda Idi Amin Killed Thousands Of People

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युगांडा के तानाशाह ईदी अमीन को दुनिया के सबसे क्रूर तानाशाह माना जाता है. इसने हजारों लोगों को मौत के घाट उतार दिया था.

इतिहास में कई तानाशाह हुए हैं, लेकिन कुछ नाम ऐसे हैं जिनका जिक्र आते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं. अफ्रीकी देश युगांडा का शासक ईदी अमीन उन्हीं में से एक था. उसकी क्रूरता इतनी भयावह थी कि उसे मैड मैन ऑफ अफ्रीका कहा जाने लगा. सत्ता में रहते हुए उसने न सिर्फ अपने ही देश के लोगों पर अत्याचार किए, बल्कि इंसानियत की सारी हदें पार कर दीं.

ईदी अमीन 1971 में सैन्य तख्तापलट के जरिए युगांडा की सत्ता पर काबिज हुआ. सत्ता संभालने के एक साल बाद उसने अचानक एक अजीब फरमान जारी किया. अगस्त 1972 में उसने दावा किया कि उसे सपने में ईश्वर का आदेश मिला है कि एशियाई मूल के लोगों को युगांडा से बाहर निकाल दिया जाए. उसने भारतीय मूल के लोगों को सिर्फ 90 दिन का समय दिया. जो नहीं गया, उसे जेल या मौत की धमकी दी गई. करीब 90 हजार भारतीयों को अपना सब कुछ छोड़कर देश छोड़ना पड़ा. ये वही लोग थे जो युगांडा की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाते थे. उनके जाने से देश की आर्थिक हालत पूरी तरह चरमरा गई.

सत्ता के आठ साल, खून और खौफ का राज

ईदी अमीन का शासन सिर्फ आठ साल चला, लेकिन इस दौरान युगांडा में डर और मौत का साया छाया रहा. BBC की रिपोर्ट के मुताबिक उसके शासनकाल में दो लाख से ज्यादा लोगों को मार दिया गया. विरोधियों को बिना किसी मुकदमे के उठा लिया जाता और फिर कभी वापस नहीं लौटाया जाता. ऐसा कहा जाता है कि ईदी अमीन को मरे हुए लोगों के साथ रहना पसंद था. उसने कई नेताओं के कटे हुए सिर अपने घर में रखे और उन्हें देखकर बातें करने की चर्चा सामने आईं. उसके अत्याचार इतने अमानवीय थे कि आज भी इतिहासकार उन्हें शब्दों में बयान करने से डरते हैं.

नील नदी बनी मौत की गवाह

ईदी अमीन ने विकलांग लोगों को समाज पर बोझ बताकर हजारों लोगों को नील नदी में फिकवाने का आदेश दिया. मगरमच्छों से भरी नदी में लोगों को जिंदा फेंक दिया गया. उसके शासन के अंत के बाद युगांडा में सामूहिक कब्रें, सड़ी हुई लाशें और खून से सने इलाके मिले, जिसने पूरी दुनिया को झकझोर दिया.

एक अनपढ़ सैनिक से राष्ट्रपति बनने तक

ईदी अमीन का जन्म 1925 में युगांडा के कोबोको इलाके में हुआ था. उसने सिर्फ चौथी कक्षा तक पढ़ाई की थी. शुरुआत में वह ब्रिटिश सेना में रसोइया था, बाद में सैनिक बना. शारीरिक ताकत के दम पर उसने बॉक्सिंग और खेलों में नाम कमाया और सेना में तेजी से ऊपर चढ़ता गया. 1971 में उसने तत्कालीन राष्ट्रपति मिल्टन ओबोटे को हटाकर खुद को देश का राष्ट्रपति घोषित कर दिया. यहीं से युगांडा के इतिहास का सबसे काला अध्याय शुरू हुआ.

पड़ोसी देशों से दुश्मनी और पतन

ईदी अमीन ने तंजानिया समेत कई पड़ोसी देशों से दुश्मनी मोल ली. उसकी आक्रामक नीतियों के कारण युगांडा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ गया. आखिरकार तंजानिया की सेना और विद्रोही गुटों ने मिलकर उसे सत्ता से बाहर कर दिया. हालांकि उसका शासन खत्म हो गया, लेकिन उसकी हैवानियत की कहानियां आज भी दुनिया के सबसे खौफनाक अध्यायों में गिनी जाती हैं.

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