
मास्टरबेशन (हस्तमैथुन) एक सामान्य और स्वाभाविक प्रक्रिया है जिसमें कोई व्यक्ति अपनी यौन इच्छाओं की पूर्ति स्वयं करता है। यह एक निजी अनुभव है जो दुनियाभर के पुरुषों और महिलाओं द्वारा किया जाता है।
महीने में
कितनी बार मास्टरबेट करना सुरक्षित है?
✅ कोई फिक्स नंबर नहीं है
विज्ञान
और स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि मास्टरबेशन की कोई तय सीमा नहीं होती। यह इस पर
निर्भर करता है:
- आपकी उम्र
- शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य
- यौन ऊर्जा
- निजी जीवन की प्राथमिकताएं
🔁 सामान्यतः:
- 3–5 बार प्रति सप्ताह को सामान्य
और स्वस्थ माना जाता है
- यानी महीने में 12 से 20 बार तक
मास्टरबेट करना कोई नुकसानदायक नहीं है
- कुछ लोग इससे ज़्यादा या कम भी कर
सकते हैं, जब तक ये उनकी दैनिक दिनचर्या और जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित न करे
💡 क्या ज़्यादा मास्टरबेशन नुकसानदायक
हो सकता है?
हाँ, यदि
मास्टरबेशन की आदत:
- रोज़ की ज़िम्मेदारियों को प्रभावित
करने लगे
- यौन संबंधों में रुचि कम कर दे
- थकावट, कमजोरी या गिल्ट जैसी भावनाएं
बढ़ाने लगे
तो यह चिंता का विषय हो सकता है।
संकेत जो
बताते हैं कि अब रुकना चाहिए:
- बार-बार करने की लत
- बिना इच्छा के भी करना
- अकेलेपन या डिप्रेशन में राहत पाने
के लिए करना
✅ मास्टरबेशन के फायदे भी होते हैं
ध्यान दें:
यह तब ही फायदेमंद है जब सीमित मात्रा में किया जाए।
- तनाव में राहत
- नींद में सुधार
- शरीर के हार्मोन बैलेंस में मदद
- यौन अंगों की कार्यक्षमता में सुधार
- आत्म-समझ और आत्म-स्वीकृति बढ़ाना
❌ मास्टरबेशन से जुड़ी भ्रांतियां (Myths)
मिथक |
सच्चाई |
मास्टरबेशन
से कमजोरी आती है |
झूठ –
वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है |
इससे शुक्राणु
कम हो जाते हैं |
झूठ –
शरीर स्पर्म को नियमित रूप से बनाता है |
इससे पाप
लगता है |
व्यक्तिगत
मान्यता हो सकती है, पर वैज्ञानिक आधार नहीं |
⚠️ कब डॉक्टर से सलाह लें?
- अगर दिन में कई बार करने की आदत
बन जाए
- अगर मास्टरबेशन को रोकने पर चिड़चिड़ापन
या तनाव हो
- अगर यौन जीवन प्रभावित हो रहा हो
- अगर guilt या shame की भावना ज्यादा
हावी हो
👉 ऐसे में मनोचिकित्सक या सेक्सोलॉजिस्ट
से सलाह लेना लाभकारी रहेगा।
📌 निष्कर्ष: तो आखिर कितनी बार करें?
"मास्टरबेशन
तब तक सही है जब तक यह आपकी सेहत, मन, रिश्तों और जीवन की गुणवत्ता पर नकारात्मक असर
नहीं डाल रहा है।"
महीने में
12–20 बार तक करना आमतौर पर सुरक्षित है, लेकिन हर व्यक्ति की स्थिति अलग होती है।
अपने शरीर को सुनें, संतुलन रखें, और अगर कभी संदेह हो — एक्सपर्ट से बात करें।
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