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Khaleda Zia Son Tarique Rahman Return Bangladesh Muhammad Yunus Anti India Trend Sheikh Hasina News Bnp Govt

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तारिक रहमान का विदेश नीति से लेकर महिलाओं की भागीदारी तक एजेंडा पूरी तरह क्लीयर है. यूनुस ने जो भारत विरोधी ट्रेंड की शुरुआत की है, उसका कायापलट तारिक रहमान करेंगे, उनके भाषणों से तो ऐसा ही लगता है.

बांग्लादेश में जारी हिंसा और तनाव के बीच बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के अंतरिम अध्यक्ष तारिक रहमान 17 साल बाद देश वापसी कर रहे हैं. बीएनपी के समर्थक उनकी वापसी पर जश्न मना रहे हैं. पार्टी ने उनके स्वागत के लिए करीब 50 लाख कार्यकर्ताओं को जुटाने ऐलान किया है. भारत समेत पूरी दुनिया की निगाह इस पर टिकी हुई है कि आखिर चुनावों के बाद बांग्लादेश की विदेश नीति में कितना बदलाव आएगा. ऐसा माना जा रहा है कि अगले साल होने वाले चुनावों में बांग्लादेश में बीएनपी की वापसी लगभग तय है और ये भी तय है कि बीएनपी की जीत के बाद तारिक रहमान ही प्रधानमंत्री बनेंगे. हालांकि उन्हें राजनीतिक, आर्थिक और संस्थागत तनाव के दौर में बांग्लादेश को आगे ले जाने की कठिन चुनौती का सामना करना पड़ेगा. 

बांग्लादेश फर्स्ट की नीति पर रहेगा तारिक रहमान का जोर!

तारिक रहमान ने कई बार अपने भाषणों में बांग्लादेश के भविष्य को लेकर सरकार का प्लान बताया है. विदेश नीति पर बोलते हुए उन्होंने बांग्लादेश फर्स्ट की नीति पर जोर दिया. इसी साल मई में उन्होंने चुनावों और संस्थागत सुधारों की आवश्यकता पर जोर देते हुए मुहम्मद यूनुस के विदेश नीति को लेकर उठाए गए कदमों पर सवाल उठाया था. 

बीएनपी नेता ने कहा था कि बांग्लादेश का राष्ट्रीय हित सभी बाहरी हितों से ऊपर रहेगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि बांग्लादेश रावलपिंडी या नई दिल्ली में से किसी के साथ घनिष्ठ संबंध नहीं रखेगा. ढाका के नयापल्टन इलाके में एक विशाल रैली में उन्होंने ऐलान किया था- 'न दिल्ली, न पिंडी- बांग्लादेश सर्वोपरि.' 

उनका रुख मौजूदा यूनुस नेतृत्व द्वारा अपनाई गई विदेश नीति से पूरी तरह अलग है. यूनुस ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की विदेश नीति से बिल्कुल अलग विदेश नीति अपनाई है. शेख हसीना ने भारत के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए थे, साथ ही बांग्लादेश के चीन के साथ संबंधों को संतुलित करते हुए पाकिस्तान से दूरी भी बनाए रखी थी. इसके उलट यूनुस ने इस्लामाबाद के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने की वकालत की है और यह बदलाव भारत-बांग्लादेश के ऐतिहासिक रूप से घनिष्ठ संबंधों की कीमत पर आया है.

कानून-व्यवस्था को दुरुस्त करना बड़ी चुनौती

तारिक रहमान के भाषणों में कानून-व्यवस्था का मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया है. उन्होंने बीएनपी नेताओं और कार्यकर्ताओं को सतर्क रहने की चेतावनी देते हुए कहा कि आने वाला समय चुनौतीपूर्ण होगा. रहमान ने कहा है कि देश के अलग-अलग हिस्सों में अराजकता के संकेत उभर रहे हैं और कुछ समूह अशांति फैलाने का प्रयास कर रहे हैं. 
 
अपने परिवार की राजनीतिक विरासत का जिक्र करते हुए रहमान ने बांग्लादेश के राष्ट्रीय सुधारों में माता-पिता की भूमिका याद दिलाई. उन्होंने कहा कि बीएनपी के संस्थापक और पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान ने देश को पतन के कगार से वापस खींचा, जबकि बीएनपी अध्यक्ष खालिदा जिया ने 1991 में बांग्लादेश को तानाशाही से बाहर निकाला और उसे विकास के रास्ते पर आगे लेकर गईं.

जमात को लेकर क्या है तारिक रहमान का रुख?

रहमान ने कट्टरपंथी राजनीतिक ताकतों के खिलाफ भी तीखा रुख अपनाया है. इस दौरान उन्होंने जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठन की भी आलोचना की. रहमान ने जमात पर हिंसक और विभाजनकारी अतीत का आऱोप लगाया था. तारिक रहमान ने 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान जमात की भूमिका को याद करते हुए कहा,  'जो लोग अब जनता से समर्थन मांग रहे हैं- इस देश की जनता ने उन्हें 1971 में देखा है. उन्होंने न केवल लाखों लोगों को मारा, बल्कि उनके सहयोगियों ने अनगिनत माताओं और बहनों का भी अपमान किया. हमें इसे कभी नहीं भूलना चाहिए.'

अल्पसंख्यकों को लेकर क्या सोचते हैं तारिक?

रहमान ने बार-बार अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को बीएनपी नीति का मूल सिद्धांत बताया है. इसी साल दुर्गा पूजा समारोह के दौरान उन्होंने सांप्रदायिक सद्भाव की अपील करते हुए कहा, 'देश भर के सभी हिंदू उत्साह और आनंद के साथ, सुरक्षा और संरक्षा के साथ यह त्योहार मना सकें. मैं सभी बांग्लादेशियों से, चाहे वे किसी भी धर्म के हों, सद्भाव और मेलजोल का संदेश फैलाने का आग्रह करता हूं.'

उन्होंने व्यक्तिगत आस्था और राज्य के दायित्वों के बीच अंतर बताते हुए कहा, 'हमारी पार्टी, बीएनपी और मैं मानते हैं कि धर्म व्यक्ति विशेष का है, लेकिन राज्य सभी के लिए है. धर्म व्यक्ति विशेष का है, लेकिन सुरक्षा का अधिकार सभी के लिए है.'

लोकतंत्र के मुद्दे पर रहमान ने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को संस्थागत नवीनीकरण की भाषा में व्यक्त किया है. उन्होंने कहा, 'एक गौरवान्वित पुत्र और बांग्लादेश राष्ट्रवादी पार्टी के एक प्रतिबद्ध कार्यकर्ता के रूप में, मैं अपने पिता की विरासत से प्रेरणा लेता हूं, जो हमारे राष्ट्र को स्वतंत्रता की भावना को पुनः प्राप्त करने और सभी बांग्लादेशियों के लिए एक लोकतांत्रिक भविष्य के लिए प्रयास करने में एकजुट करती है.'

करप्शन से लड़ना प्रायोरिटी: तारिक रहमान

रहमान का प्रमुख एजेंडों में करप्शन भी शामिल है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में उन्होंने लिखा, 'सालों से चले आ रहे भ्रष्टाचार से लड़ना एक कठिन चुनौती होगी, लेकिन बांग्लादेश का अपना इतिहास साबित करता है कि प्रगति संभव है. प्रतिबद्धता, अनुशासन और जनसमर्थन से सार्थक सुधार संभव हो सकते हैं. अगर जनता हमें भरोसा दिलाती है तो बीएनपी एक बार फिर इस मुहिम का नेतृत्व करने के लिए तैयार है.'

महिलाओं को लेकर क्लीयर किया एजेंडा

तारिक रहमान बांग्लादेश की इकोनॉमी में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना चाहते हैं. उन्होंने इसको लेकर अपना एजेंडा क्लीयर करते हुए कहा था कि बीएनपी का उद्देश्य एक आधुनिक, जन-केंद्रित बांग्लादेश का निर्माण करना है, जिसमें महिलाओं को पारिवारिक जिम्मेदारियों और पेशेवर आकांक्षाओं के बीच चुनाव करने के लिए मजबूर न होना पड़े. आंकड़ों का हवाला देते हुए रहमान ने कहा कि मार्केट में महिलाओं की भागीदारी केवल 43 प्रतिशत है, जबकि पुरुषों की भागीदारी 80 प्रतिशत है. उन्होंने कहा कि यह अंतर एक चेतावनी है कि हम अपने देश की आधी से अधिक प्रतिभा को पीछे छोड़ रहे हैं.

अगर तारिक रहमान बांग्लादेश के प्रधानमंत्री बनते हैं तो वो किस तरह देश चलाएंगे. ऊपर दिए गए सभी नीतिगत संकेत इसको लेकर स्पष्ट संकेत देते हैं. विदेश नीति से लेकर महिलाओं की भागीदारी तक उनका एजेंडा पूरी तरह क्लीयर है. इतना ही नहीं मोहम्मद यूनुस ने जो भारत विरोधी विदेश नीति की शुरुआत की है, उसका भी कायापलट तारिक रहमान करेंगे, कम से कम उनके भाषणों से तो ऐसा ही लगता है. अब देखना होगा कि सत्ता में आने के बाद उनकी कथनी और करनी में कितना अंतर होगा.

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