
एएसआई के पूर्व डायरेक्टर का बयान काफी चर्चा में है. उन्होंने राम जन्मभूमि, मथुरा और ज्ञानवापी जगहों को हिंदुओं को सौंप देने की अपील मुस्लिम समुदाय के लोगों से की है.
ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के पूर्व रीजनल डायरेक्टर केके मुहम्मद ने मंदिर मस्जिद विवाद पर संयम बरतने की अपील की है. साथ ही तीन धार्मिक स्थलों को चर्चा में रखने की बात उनकी तरफ से की गई है. इनमें राम जन्मभूमि, मथुरा और ज्ञानवापी शामिल है.
'इन जगहों को हिंदुओं सौंप देना चाहिए'
केके मुहम्मद ने मुसलमानों को सुझाव देते हुए कहा है कि इन जगहों को हिंदुओं को सौंप देना चाहिए. इसके अलावा अब दावों को करने से बचना चाहिए, नहीं तो यह दिक्कतें कभी खत्म नहीं होंगी. पूर्व रीजनल डायरेक्टर का यह बयान उस बीच आया है, जब देश की अदालत में कई तरह के याचिकाएं अलग-अलग धार्मिक स्थलों पर दावे को लेकर कोर्ट में पेंडिंग हैं.
मुहम्मद ने कहा कि राम जन्मभूमि, मथुरा और ज्ञानवापी उतनी हिंदुओं के लिए जरूरी है, जितनी जरूरी मुस्लिमों के लिए मक्का और मदीना है.
#WATCH | Kozhikode, Kerala: Former Archaeological Survey of India (ASI) regional director KK Muhammed says, "...I had said Muslims should give up 2 more historical places and these are the temples also - Mathura which is the birthplace of Lord Krishna and Gyanvapi which is… pic.twitter.com/WIDHMswIju
— ANI (@ANI) December 2, 2025
आयोध्या विवाद पर क्या बोले?
पूर्व अधिकारी ने बताया कि वह 1976 में बीबी लाल के नेतृत्व में बाबरी मस्जिद खुदाई में शामिल थे. यह विवाद एक मुस्लिम कम्युनिस्ट इतिहासकार की वजह से भी बढ़ा, जिसने अधिकारी को मस्जिद के नीचे मंदिर के सबूत को मानने से इंकार करने के लिए मना लिया था.
उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय उस दौरान मंदिर बनाने की इजाजत को लेकर मामले सुलझाने को लेकर पक्ष में थे. साथ ही उन्होंने दावा किया कि इतिहासकार आर्कियोलॉजिस्ट नहीं था, वह किसी भी तरह की खुदाई के दौरान भी मौजूद नहीं था. उन्होंने इस संबंध में काफी झूठी बातें फैलाई.
ताजमहल पर दावे को किया खारिज
पूर्व अधिकारी ने ताजमहल के दावों को खारिज करते हुए कहा है कि यह पूरी तरह एक झूठ है. मुहम्मद ने बताया कि यह राजा मान सिंह का महल था, इसके बाद इसे जय सिंह और फिर शाहजहां को ट्रांसफर कर दिया. इसके सपोर्टिंग डॉक्यूमेंट बीकानेर और जयपुर म्युजियम में सुरक्षित रखे हैं. हालांकि उन्होंने कहा है कि कल्चरल हेरिटेज को लेकर सरकार से की गई मांगे पूरी नहीं हुई हैं. यह आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया का एक काला दौर चल रहा है.
हालांकि, उनके दावे को एएसआई डायरेक्टर जनरल यदुबीर रावत ने खारिज करते हुए कहा है कि एएसआई बहुत काम कर रहा है. हमारे पास पर्याप्त बजट है. हमारे पास मैनेज करने के लिए हजारों मॉन्यूमेंट्स भी हैं. समझ नहीं आता कि कुछ लोगों ने रिटायरमेंट के बाद बातें उठाई है. लेकिन तब क्यों नहीं उठाई, जब वह नौकरी में थे. एएसआई किसी राजनीतिक पक्ष का समर्थन नहीं करता. संस्थाओं का काम पता लगाना और दस्तावेज इकट्ठा करना है. उन्हें डॉक्यूमेंटेड करना है.
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