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Bangladesh Protests Newspaper Pratham Alo Daily Star Offices Burnt After Sharif Osman Hadi Killing

Bangladesh Protests Newspaper Pratham Alo Daily Star Offices Burnt After Sharif Osman Hadi Killing

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Bangladesh Violence: सज्जाद शरीफ ने बताया कि हमलावरों ने भारी तोड़फोड़ की, जिससे पत्रकारों में दहशत फैल गई. हालात इतने खराब थे कि कर्मचारियों को अपनी जान बचाने के लिए दफ्तर छोड़कर भागना पड़ा.

बांग्लादेश की राजधानी ढाका में हालात उस वक्त बेकाबू हो गए, जब युवा नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद उग्र भीड़ ने देश के दो प्रमुख अखबारों प्रथम आलो और द डेली स्टार के दफ्तरों में आग लगा दी. यह घटना 12 दिसंबर को हादी को सिर में गोली मारे जाने और बाद में उनकी मौत के बाद हुई. गवाहों के मुताबिक, सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी करते हुए आधी रात के करीब मीडिया हाउस को निशाना बनाया.

यह अखबारों के लिए सबसे काली रात- प्रथम आलो के संपादक
प्रथम आलो के एग्जीक्यूटिव एडिटर सज्जाद शरीफ ने इस घटना को बांग्लादेशी पत्रकारिता के इतिहास की 'सबसे काली रात' बताया. उन्होंने कहा कि जब पत्रकार अगले दिन के अखबार और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के लिए काम कर रहे थे, तभी असामाजिक तत्वों ने मीडिया हाउस पर हमला कर दिया.

दफ्तर में तोड़फोड़, जान बचाकर भागे पत्रकार
सज्जाद शरीफ ने बताया कि हमलावरों ने भारी तोड़फोड़ की, जिससे पत्रकारों में दहशत फैल गई. हालात इतने खराब थे कि कर्मचारियों को अपनी जान बचाने के लिए दफ्तर छोड़कर भागना पड़ा. इस हमले के चलते प्रथम आलो का प्रिंट संस्करण प्रकाशित नहीं हो सका और वेबसाइट भी रात से ही बंद है.

27 साल में पहली बार नहीं छपा अखबार
उन्होंने कहा, '1998 में स्थापना के बाद 27 सालों में यह पहली बार है जब हमारा अखबार प्रकाशित नहीं हो सका.' उन्होंने इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी और मीडिया की स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताया.

सरकार से जांच और सख्त कार्रवाई की मांग
प्रथम आलो के संपादक ने सरकार से अपील की कि इस हमले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों की पहचान की जाए और उन्हें कानून के दायरे में लाया जाए. उन्होंने कहा कि मीडिया पर हमला लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है.

शरीफ उस्मान हादी की मौत से भड़का आक्रोश
32 वर्षीय छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद देशभर में गुस्सा फैल गया है. हादी को ढाका के मोतिझील इलाके में बॉक्स कलवर्ट रोड के पास रिक्शा में सवार रहते हुए नकाबपोश हमलावरों ने सिर में गोली मार दी थी. गंभीर हालत में उन्हें सिंगापुर ले जाया गया, जहां छह दिन बाद उनकी मौत हो गई. बताया गया है कि हादी अपने चुनावी अभियान की शुरुआत कर रहे थे, तभी उन पर हमला हुआ. गोली उनके बाएं कान के पास लगी, जिससे काफी खून बह गया और वह कोमा में चले गए थे.

‘जुलाई आंदोलन’ से उभरे थे हादी
हादी पिछले साल हुए ‘जुलाई आंदोलन’ के प्रमुख नेताओं में से एक थे. वह इंक़िलाब मंच के संयोजक और प्रवक्ता थे, जो हर तरह के राजनीतिक वर्चस्व के खिलाफ आवाज उठाने वाला मंच है. ढाका विश्वविद्यालय से शिक्षित हादी अवामी लीग ही नहीं, बल्कि पूरी मुख्यधारा की राजनीति के आलोचक थे. उन्होंने पारंपरिक राजनीतिक नेतृत्व को नकारते हुए खुद को नई पीढ़ी की आवाज के तौर पर स्थापित किया था.

हत्याकांड पर अब भी सस्पेंस
पुलिस का कहना है कि शुरुआती जांच में यह साफ नहीं हो पाया है कि हमला किसने और क्यों किया. हादी की मौत की पुष्टि अंतरिम मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने की, जिसके बाद ढाका समेत कई शहरों में प्रदर्शन तेज हो गए.

ढाका में हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता
हादी की मौत ने ऐसे वक्त में नई अशांति को जन्म दिया है, जब बांग्लादेश अहम राष्ट्रीय चुनाव की तैयारी कर रहा है और भारत के साथ अपने संबंधों को फिर से संतुलित करने की कोशिश में है. प्रदर्शनकारियों ने कई जगह इमारतों में तोड़फोड़ की, अखबारों के दफ्तर जलाए और राजनीतिक प्रतिष्ठानों से जुड़े प्रतीकों को निशाना बनाया.

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