इसी किताब को लेकर यूपी के पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार ने एक दिलचस्प निर्णय किया है. उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय की टैगोर लाइब्रेरी को 227 किताबें उपहार के तौर पर भेंट कर दी है. इन किताबों में वे पुस्तकें भी शामिल हैं, जिनसे उन्होंने अपने छात्र जीवन में पढ़ाई की थी.
लखनऊ:प्रशांत कुमार को यूपी के डीजीपी से रिटायर हुए करीब डेड महीने हो गए हैं. तब से उनका रूटीन बहुत बदल गया है. यूपी के डीजीपी रहते हुए सवेरे 9 बजे से ही उन्हें मुख्यमंत्री के साथ बैठक में रहना होता था. फिर रात 9 बजे भी कानून व्यवस्था की मीटिंग होती थी. उन्हें अपने और परिवार के लिए कभी समय ही नहीं मिला. इन दिनों सवेरे होते ही वे सुबह की सैर के लिए लखनऊ के लोहिया पार्क पहुंच जाते है. अपने पुराने दोस्तों संग समय बिताते थे. प्रशांत कुमार की छवि एनकांउटर स्पेशलिस्ट की रही है. एक IPS अफसर रहते हुए अपने अनुभव पर भी एक किताब लिखने का उनका इरादा है.
इसी किताब को लेकर यूपी के पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार ने एक दिलचस्प निर्णय किया है. उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय की टैगोर लाइब्रेरी को 227 किताबें उपहार के तौर पर भेंट कर दी है. इन किताबों में वे पुस्तकें भी शामिल हैं, जिनसे उन्होंने अपने छात्र जीवन में पढ़ाई की थी. भेंट की गई किताबों में भारतीय इतिहास एवं साहित्य,भारतीय जनजाति की संस्कृति, भारतीय सेना की वीरगाथा शामिल हैं. इसके अलावा उन्होंने महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरु, रवींद्रनाथ टैगोर और जवाहरलाल नेहरू के कार्य, उनके विचार और योगदान से जुड़ी किताबें भी यूनिवर्सिटी को भेज दी हैं. ज्योतिष शास्त्र एवं हस्तरेखा शास्त्र, साइबर क्राइम एवं विविध अपराध अधिनियम की भी किताबें उन्होंने लाइब्रेरी को दी हैं. इसके साथ ही भेंट की गई किताबों में उत्तर प्रदेश पुलिस रेगुलेशन, संचार के सिद्धान्त, प्रशासनिक सेवाओं में कार्यरत प्रशासकों के अनुभव, भारत और विश्व के अंतरराष्ट्रीय सम्बन्ध, देश एवं विदेश के महापुरुषों की जीवनी पर आधारित विभिन्न पुस्तकों के साथ-साथ विभिन्न हिन्दी साहित्य के लेखकों के उपन्यास भी शामिल हैं.
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