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World Top 5 Arms Export Sipri Report Global Share Of Us France Russia China Growing Role Of India

World Top 5 Arms Export Sipri Report Global Share Of Us France Russia China Growing Role Of India

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ग्लोबल वेपन मार्केट कुछ ताकतवर देशों के इर्द-गिर्द घूम रहा है. अमेरिका सबसे आगे है. फ्रांस तेजी से उभरा है. रूस कमजोर पड़ा है और चीन अपनी जगह बनाए हुए है.

आज दुनिया में सुरक्षा सबसे बड़ा मुद्दा बन चुका है. युद्ध, सीमा विवाद और भू-राजनीतिक तनाव के कारण लगभग हर देश अपने सैन्य बजट को बढ़ा रहा है. इसका सीधा असर वैश्विक हथियार बाजार पर पड़ा है. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट यानी SIPRI की रिपोर्ट बताती है कि पिछले कुछ वर्षों में हथियारों का कारोबार कुछ गिने-चुने देशों के हाथों में सिमट गया है. रिपोर्ट के अनुसार 2018 से 2022 के बीच दुनिया के कुल हथियार निर्यात का लगभग तीन-चौथाई हिस्सा सिर्फ 5 देशों से आया. 

SIPRI की ताजा रिपोर्ट साफ बताती है कि अमेरिका इस समय दुनिया का सबसे बड़ा हथियार निर्यातक है. 2020 से 2024 के बीच वैश्विक हथियार बाजार में अमेरिका की हिस्सेदारी करीब 43 प्रतिशत रही. यह आंकड़ा अपने आप में दिखाता है कि अमेरिका कितनी बड़ी सैन्य औद्योगिक शक्ति बन चुका है. अमेरिका से फाइटर जेट, मिसाइल सिस्टम, ड्रोन और एडवांस टेक्नोलॉजी वाले हथियार दुनियाभर के देशों को भेजे जाते हैं. लॉकहीड मार्टिन और बोइंग जैसी कंपनियां इस निर्यात की रीढ़ मानी जाती हैं. अमेरिका का एक बड़ा फायदा यह भी है कि वह अपने सहयोगी देशों को सैन्य सहायता और तकनीक दोनों देता है.

फ्रांस का उभार रूस को पीछे छोड़ दूसरा स्थान

फ्रांस ने हाल के वर्षों में हथियार निर्यात के क्षेत्र में बड़ी छलांग लगाई है. SIPRI के मुताबिक फ्रांस अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार निर्यातक बन चुका है और उसकी वैश्विक हिस्सेदारी करीब 11 प्रतिशत है. राफेल फाइटर जेट फ्रांस की सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरा है. भारत की तरफ से खरीदे गए 36 राफेल विमानों का बड़ा योगदान फ्रांस के निर्यात आंकड़ों में दिखता है. इसके अलावा मिस्र, कतर और कई एशियाई देशों ने भी फ्रांसीसी हथियारों में दिलचस्पी दिखाई है.

रूस की गिरती पकड़ युद्ध का असर

कभी हथियार बाजार में अमेरिका का सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी माना जाने वाला रूस अब तीसरे स्थान पर खिसक चुका है. उसकी वैश्विक हिस्सेदारी घटकर लगभग 7 से 8 प्रतिशत रह गई है. SIPRI के अनुसार रूस के हथियार निर्यात में करीब 64 प्रतिशत की भारी गिरावट आई है. यूक्रेन युद्ध के बाद रूस को अपने हथियार खुद के लिए इस्तेमाल करने पड़े. साथ ही अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों और सप्लाई चेन की दिक्कतों ने भी उसके निर्यात को कमजोर कर दिया.

चीन सस्ते हथियारों के दम पर चौथे नंबर पर

चीन हथियार निर्यात के मामले में चौथे स्थान पर बना हुआ है. उसकी हिस्सेदारी करीब 5.8 प्रतिशत बताई गई है. हालांकि हाल के वर्षों में चीन के निर्यात में हल्की गिरावट भी दर्ज की गई है. पाकिस्तान चीन का सबसे बड़ा हथियार खरीदार है और चीनी हथियारों का बड़ा हिस्सा वहीं जाता है. कम कीमत और आसान शर्तों के कारण अफ्रीका और एशिया के कई विकासशील देश चीन से हथियार खरीदते हैं.

जर्मनी, तुर्किए और इटली की बढ़ती भूमिका

जर्मनी हथियार निर्यात में पांचवें स्थान पर है, जबकि इटली और तुर्किए तेजी से उभरते खिलाड़ी बनते जा रहे हैं. खासकर तुर्किए ने ड्रोन तकनीक में दुनिया का ध्यान खींचा है. इटली के हथियार निर्यात में भी हाल के वर्षों में जबरदस्त बढ़ोतरी देखी गई है.

आयातक से निर्यातक की ओर

भारत लंबे समय तक दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक रहा है, लेकिन अब तस्वीर बदल रही है. भारत आज करीब 100 देशों को रक्षा उपकरण और हथियार निर्यात कर रहा है. अमेरिका, फ्रांस और आर्मेनिया जैसे देश भारतीय रक्षा उत्पाद खरीद रहे हैं. मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान ने भारत के डिफेंस एक्सपोर्ट को नई दिशा दी है. सरकारी और निजी दोनों कंपनियां अब वैश्विक हथियार बाजार में भारत की पहचान मजबूत कर रही हैं.

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