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America Pentagon Report On China Claim On Arunachal Pradesh And Growing Ties With Pakistan Why India Tension Increased

America Pentagon Report On China Claim On Arunachal Pradesh And Growing Ties With Pakistan Why India Tension Increased

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चीन का भारत के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखना मजबूरी है. वो अगर रिश्ते बिगाड़ेगा तो इसका खामियाजा उसको भुगतना पड़ेगा. यही वजह है कि वो पाकिस्तान को भारत के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है.

अमेरिका के रक्षा विभाग पेंटागन की चीन को लेकर एक रिपोर्ट आई है. इसमें दावा किया गया है कि चीन वाशिंगटन और नई दिल्ली की रणनीतिक साझेदारी के विस्तार पर अडंगा लगाने की कोशिश कर रहा है. मंगलवार (23 दिसंबर, 2025) को जारी हुई इस रिपोर्ट में चीन का पाकिस्तान के साथ सैन्य सहयोग और परमाणु हथियारों में तेजी से बढ़ोतरी को लेकर भी जोर दिया गया है. 

भारत को कैसे लुभा रहा चीन?

पेंटागन की रिपोर्ट में अरुणाचल प्रदेश पर चीन के क्षेत्रीय दावों को भी दोहराया गया है, जिसमें भारतीय राज्य को बीजिंग के घोषित 'मुख्य हितों' का हिस्सा बताया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के प्रति चीन का यह झुकाव व्यापक रणनीतिक चिंताओं से प्रेरित है, विशेष रूप से वाशिंगटन का नई दिल्ली के साथ बढ़ता जुड़ाव. इसमें कहा गया है कि बीजिंग LAC पर कम हुए तनाव का फायदा उठाकर भारत और अमेरिका के बीच गहरे संबंधों को रोकने की कोशिश कर रहा है.

बीते कई सालों से अमेरिका भारत को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव के संतुलन के रूप में देख रहा है. पेंटागन के दस्तावेज से पता चलता है कि बीजिंग को उम्मीद है कि भारत के साथ राजनयिक संबंध इस गठबंधन को मजबूत होने से रोक सकते हैं.

गलवान झड़प के बाद रिश्ते हुए खराब 

साल 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद भारत और चीन के संबंधों में तेजी से गिरावट आई, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. बीजिंग ने अपने चार सैनिकों के शहीद होने का दावा किया था. इस गतिरोध के बाद  दोनों पक्षों ने सैन्य, राजनयिक और राजनीतिक स्तर पर कई दौर की वार्ताएं कीं. बावजूद इसके डेमचोक और डेपसांग जैसे क्षेत्र अनसुलझे रहे. 

रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल अक्टूबर में भारत और चीन ने LAC पर गश्ती व्यवस्था की घोषणा की थी, जिसके परिणामस्वरूप पूर्वी लद्दाख में सेनाओं की वापसी हुई. इस घटनाक्रम ने रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बैठक का मार्ग प्रशस्त किया. साल 2020 की झड़पों के बाद पीएम मोदी और शी जिनपिंग की यह पहली औपचारिक बातचीत थी. इसी बैठक में दोनों देशों के बीच LAC पर शांति, सीधी उड़ानों और वीजा सेवाओं को फिर से शुरू करना शामिल था.

हालांकि रिपोर्ट में ये भी क्लीयर किया गया है कि भारत बीजिंग के इरादों को लेकर पूरी तरह सतर्क है. चीन की कार्रवाइयों और इरादों को लेकर वो संशय में है. इसमें आगे कहा गया है कि दोनों देशों के बीच आपसी अविश्वास और कई परेशानियों की वजह से दोनों के संबंध सीमित करती हैं. 

अरुणाचल प्रदेश को लेकर रिपोर्ट में क्या है?

रिपोर्ट में चीन के व्यापक क्षेत्रीय दावों, विशेष रूप से अरुणाचल प्रदेश पर उसके रुख की ओर भी ध्यान दिलाया गया है. अमेरिकी रक्षा विभाग के अनुसार, बीजिंग ने क्षेत्रीय विवादों के बीच ताइवान, अरुणाचल प्रदेश, लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर और सेनकाकू द्वीप समूह पर संप्रभुता के दावों को शामिल करते हुए अपने 'मुख्य हितों' के दायरे को और बढ़ाया है. 

चीन अरुणाचल प्रदेश को 'जांगनान, तिब्बत का दक्षिणी भाग' कहता है, इस दावे को भारत ने दृढ़ता से खारिज कर दिया है और यह मानता है कि यह राज्य देश का अभिन्न अंग है.

दस्तावेज में कहा गया है कि चीन राष्ट्रीय पुनरुत्थान के लिए तीन 'मुख्य हितों' को आवश्यक मानता है और उन पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है. 1- चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का नियंत्रण बनाए रखना, 2- आर्थिक विकास को आगे बढ़ाना और 3- क्षेत्रीय दावों की रक्षा और विस्तार करना.

रिपोर्ट में ताइवान को लेकर चीन का रुख

पेंटागन की रिपोर्ट में ताइवान के प्रति चीन के रुख का भी आकलन किया गया है, जिसमें कहा गया है कि बीजिंग राष्ट्रीय पुनरुत्थान के लिए एकीकरण में अगर जरूरत पड़ी तो बलपूर्वक को भी जरूरी मानता है. हालांकि इसमें यह भी कहा गया है कि चीनी नेता 'अमेरिकी हस्तक्षेप का मुकाबला करते हुए ताइवान पर सफलतापूर्वक कब्जा करने के लिए पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की तत्परता को लेकर अनिश्चित हैं.' 

भारत के खिलाफ पाकिस्तान को रणनीतिक हथियार बना रहा चीन

चीन का भारत के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखना मजबूरी है. वो भारत से अगर रिश्ते बिगाड़ेगा तो इसका खामियाजा उसको ही भुगतना पड़ेगा. यही वजह है कि वो पाकिस्तान को भारत के खिलाफ रणीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने इसीलिए पाकिस्तान को उन्नत सैन्य उपकरण, जिनमें फ्रिगेट, लड़ाकू विमान और सशस्त्र ड्रोन मुहैया करा रहा है. 

मई 2025 तक, चीन ने पाकिस्तान को 36 J-10C मल्टीरोल लड़ाकू जेट में से 20 की डिलीवरी कर दी थी. साथ ही स्ट्राइक-सक्षम कैहोंग और विंग लूंग मानवरहित हवाई वाहन (UAV) भी दिए थे. 

अमेरिकी रक्षा आकलन बताते हैं कि चीन और पाकिस्तान 'ग्रे जोन ऑपरेशन' के जरिए भारत पर दबाव बनाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं, जिसमें खुले संघर्ष से बचने के लिए दबाव बनाने की रणनीति का इस्तेमाल किया जा रहा है. अमेरिकी खुफिया सूत्रों ने इस्लामाबाद को भारत के खिलाफ चीन का 'प्रेशर वाल्व' बताया है. 

चीन में तेजी से बढ़े परमाणु हथियार

पेंटागन की रिपोर्ट में चीन के तेजी से बढ़ते परमाणु हथियारों पर भी फोकस किया गया है. पेंटागन का अनुमान है कि बीजिंग हर साल करीब 100 परमाणु हथियार जोड़ रहा है और 2024 के आखिर तक उसका भंडार 600 से ज्यादा हो चुके हैं. 

अनुमान है कि 2030 तक चीन के पास लगभग 1,000 परमाणु हथियार होंगे, जिन्हें मिसाइलों, पनडुब्बियों और बमवर्षकों में तैनात किया जा सकता है. रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला गया है कि चीन के ऐतिहासिक सैन्य निर्माण ने अमेरिका की टेंशन को बढ़ा दिया है और क्षेत्रीय सुरक्षा संतुलन को नया रूप दिया है.

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