
RSS Chief Mohan Bhagwat: मोहन भागवत ने कहा कि आरएसएस चुनावी राजनीति में हिस्सा नहीं लेता और न ही किसी राजनीतिक दल को समर्थन देता है. उन्होंने कहा कि नीतियों का समर्थन करते हैं.
राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार (09 नवंबर, 2025) को कहा कि संघ किसी राजनीतिक दल का समर्थक नहीं है. वह केवल नीतियों का समर्थन करता है, न कि पार्टियों का. बेंगलुरु में RSS के 100 साल पूरे होने पर एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस अयोध्या में राम मंदिर के पक्ष में खड़ी होती तो स्वंयसेवक कांग्रेस को भी वोट देते. उन्होंने मुस्लिमों की आरएसएस में भागीदारी, संगठन के रजिस्टर्ड न होने और तिरंगे पर कांग्रेस की आलोचनाओं सहित कई मुद्दों पर विस्तार से जवाब दिए.
संघ चुनावी राजनीति में हिस्सा नहीं लेता: भागवत
भागवत ने कहा कि आरएसएस चुनावी राजनीति में हिस्सा नहीं लेता और न ही किसी राजनीतिक दल को समर्थन देता है. उन्होंने कहा, 'हम किसी पार्टी का समर्थन नहीं करते. हम राजनीति नहीं करते, हम नीति का समर्थन करते हैं. अयोध्या में राम मंदिर की मांग थी, इसलिए स्वंयसेवक उन पार्टियों के पक्ष में गए जो इसके समर्थन में थीं. अगर कांग्रेस समर्थन करती, तो वे कांग्रेस को वोट देते.'
'मुस्लिम–ईसाई भी आ सकते हैं, लेकिन...': RSS चीफ
मुस्लिमों के आरएसएस में शामिल होने को लेकर पूछे गए सवाल पर भागवत ने कहा कि संघ में जाति, धर्म या पंथ के आधार पर कोई रोक नहीं है. उन्होंने कहा, 'ना कोई ब्राह्मण को अलग से आने दिया जाता है, ना किसी मुस्लिम या ईसाई को रोका जाता है. जो भी आए, वह भारत माता का पुत्र बनकर आए. हमारी शाखा में मुस्लिम और ईसाई दोनों आते हैं, लेकिन हम यह नहीं पूछते कि कौन क्या है.'
आरएसएस का रजिस्ट्रेशन क्यों नहीं है?
हाल ही में कांग्रेस नेताओं ने सवाल उठाया कि RSS एक रजिस्टर्ड संगठन क्यों नहीं है. इस पर भागवत ने कहा, '1925 में जब संघ शुरू हुआ, तब क्या हम ब्रिटिश सरकार से पंजीकरण कराते? आजादी के बाद भी कानून में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य नहीं है. ‘बॉडी ऑफ इंडिविजुअल्स’ के रूप में भी कानूनी मान्यता मिलती है और हम उसी श्रेणी में आते हैं.'
उन्होंने कहा कि संघ पर तीन बार प्रतिबंध लगाया गया था, जिससे यह साबित होता है कि सरकार उसे ‘मान्यता प्राप्त संगठन’ मानती है, नहीं तो प्रतिबंध कैसे लगता? उन्होंने कहा कि हर बार अदालतों ने प्रतिबंध को रद्द किया. इसलिए संघ न तो गैरकानूनी है, न असंवैधानिक और हमें पंजीकरण की जरूरत भी नहीं है.
खरगे के बयान के बाद RSS का पलटवार
भागवत के ये बयान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के हालिया आरोपों के बाद आए हैं. खरगे ने पिछले महीने कहा था कि उनकी 'व्यक्तिगत राय' है कि RSS पर प्रतिबंध लगना चाहिए. खरगे के बेटे और कर्नाटक मंत्री प्रियांक खरगे सहित कांग्रेस के कई नेताओं ने हाल ही में RSS पर तीखे हमले किए थे. भागवत ने कहा कि विरोध बढ़ता है तो संघ और मजबूत होता है.
तिरंगे पर RSS की राय
कांग्रेस अकसर आरोप लगाती है कि आरएसएस तिरंगे को नहीं मानता. इस पर भागवत ने कहा कि यह धारणा गलत है. उन्होंने कहा, 'संगठन ने अपना भगवा ध्वज 1925 में अपनाया था. राष्ट्रीय ध्वज 1933 में तय हुआ. उस समय ध्वज कमेटी ने भी पारंपरिक भगवा रंग की सिफारिश की थी, लेकिन गांधीजी के सुझाव पर तीन रंगों वाला झंडा बनाया गया.' भागवत ने कहा कि RSS ने हमेशा तिरंगे का सम्मान किया है. 'कांग्रेस का अपना झंडा है, कम्युनिस्ट पार्टी का लाल झंडा है, रिपब्लिकन पार्टी का नीला झंडा है. उसी तरह हमारा भगवा ध्वज है, लेकिन राष्ट्रीय ध्वज के प्रति हमारा सम्मान हमेशा अटल रहा है.'
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