
भारत और रूस ने विमानन क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण समझौता किया है. HAL और PJSC-UAC ने मॉस्को में MoU पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत भारत में सुखोई सुपरजेट SJ-100 नागरिक विमान का निर्माण किया जाएगा.
रूस के साथ भारत ने विमानन क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाया है. हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और रूस की पब्लिक ज्वाइंट स्टॉक कंपनी यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन (PJSC-UAC) ने सोमवार (27 अक्टूबर) को मॉस्को में एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं. इसके तहत भारत में सुखोई सुपरजेट एसजे-100 (Sukhoi Superjet SJ-100) सिविल कम्यूटर विमान का निर्माण किया जाएगा.
यह ट्विन-इंजन, नैरो-बॉडी विमान लगभग 100 यात्रियों की क्षमता वाला है और इसकी रेंज करीब 3000 किलोमीटर है. इसे खासतौर पर घरेलू उड़ानों के लिए डिजाइन किया गया है. बताया गया है कि अब तक दुनिया भर में ऐसे 200 से अधिक विमान बनाए जा चुके हैं और 16 से ज्यादा एयरलाइन ऑपरेटर इसका उपयोग कर रहे हैं.
‘मेक इन इंडिया’ को मिलेगी मजबूती
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में एसजे-100 का निर्माण देश की क्षेत्रीय हवाई संपर्क योजना UDAN (Ude Desh ka Aam Nagrik) के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है. इससे देश के छोटे शहरों और कस्बों को हवाई नेटवर्क से जोड़ने में बड़ी मदद मिलेगी. इस समझौते के बाद HAL को भारत में एसजे-100 विमान के निर्माण के विशेष अधिकार मिल गए हैं. यह परियोजना न केवल भारत के सिविल एविएशन सेक्टर को नई ऊंचाई देगी, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ पहल को भी मजबूती प्रदान करेगी.
रोजगार के बढ़ेंगे अवसर
इसके अलावा, इस परियोजना से भारत के एविएशन मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलने की उम्मीद है. HAL के लिए यह न केवल एक तकनीकी उपलब्धि होगी, बल्कि यह भारत की आत्मनिर्भरता (Atmanirbhar Bharat) को भी नई दिशा देगी. विमान निर्माण से जुड़े स्पेयर पार्ट्स, मेंटेनेंस और सप्लाई चेन में भी हजारों रोजगार अवसर पैदा होंगे.
रक्षा क्षेत्र में रूस के साथ पहले से मजबूत साझेदारी के बाद अब सिविल एविएशन में यह सहयोग दोनों देशों के रिश्तों को और गहराई देगा. एसजे-100 विमान भारत में रीजनल ट्रैवल सेक्टर को पूरी तरह बदल सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां हवाई सेवाएं सीमित हैं.
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