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Bihar Assembly Elections 2025 Nitish Kumar Economic Benefits For Women Dalit Politics Prashant Kishor Determine Result

Bihar Assembly Elections 2025 Nitish Kumar Economic Benefits For Women Dalit Politics Prashant Kishor Determine Result

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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में मुकाबला दिलचस्प होता जा रहा है. नीतीश कुमार के खिलाफ एंटी-इंकंबेंसी, महिलाओं को दिए गए आर्थिक लाभ , दलित राजनीति और प्रशांत किशोर मुख्य भूमिका निभा सकता है.

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 धीरे-धीरे अपने निर्णायक दौर में पहुंच चुका है. पहले चरण की नामांकन की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है और अब सभी दल प्रचार अभियान में पूरी ताकत से जुट गए हैं. मतदान दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को होगा, जबकि परिणाम 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे. इस बार मुकाबला केवल एनडीए और महागठबंधन के बीच नहीं, बल्कि एक तीसरी ताकत भी राजनीतिक मैदान में उतर चुकी है  प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह चुनाव तीन प्रमुख फैक्टर्स पर टिका है, जो है M (महिला वोटर), D (दलित वोटर), और PK (प्रशांत किशोर).

पिछले दो दशकों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिलाओं को सशक्त बनाने के कई कदम उठाए हैं. उनकी योजनाओं ने लाखों परिवारों के जीवन में बदलाव लाया है. साइकिल योजना, यूनिफॉर्म योजना और सरकारी नौकरियों में आरक्षण जैसे प्रयासों ने महिलाओं की शिक्षा और रोजगार दोनों को आगे बढ़ाया. हाल के महीनों में शुरू की गई मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना (M3RY) ने भी आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को राहत दी है. M3RY जिसके तहत 10,000 रुपये योग्य परिवारों की महिलाओं को दिए गए. अगस्त तक 7.5 मिलियन महिलाओं को यह राशि ट्रांसफर की जा चुकी है.

अक्टूबर में आचार संहिता लागू होने से कुछ घंटे पहले दूसरी किस्त जारी की गई, जिससे कुल 10 मिलियन से अधिक महिलाओं तक यह लाभ पहुंचा. चुनाव से ठीक पहले दूसरी किस्त जारी होने से लगभग एक करोड़ महिलाओं को इसका लाभ मिला. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह महिला समर्थन एनडीए के लिए बड़ा आधार बन सकता है. राज्य में लगभग 3.5 करोड़ महिला मतदाता हैं, जिनका झुकाव परिणामों को निर्णायक रूप से प्रभावित कर सकता है.

दलित मतदाता बने रहेंगे चुनाव का सेंटर

बिहार की राजनीति में दलित समुदाय हमेशा से एक अहम भूमिका निभाता रहा है. इस बार भी उनका रुझान सत्ता की दिशा तय कर सकता है. जीतन राम मांझी और चिराग पासवान जैसे दो प्रमुख दलित नेता एनडीए के साथ हैं, जिससे गठबंधन को सीधा लाभ मिलने की उम्मीद है. वहीं, दूसरी ओर तेजस्वी यादव और कांग्रेस की अगुवाई वाला महागठबंधन भी दलित वोटों को आकर्षित करने के प्रयास में जुटा है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी की रैलियों में दलित समाज से जुड़े मुद्दों पर जोर दिया जा रहा है. अब सवाल यह है कि क्या दलित समाज एनडीए के साथ रहेगा या सामाजिक न्याय के नाम पर महागठबंधन को प्राथमिकता देगा.

प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी नई राजनीति की शुरुआत

प्रशांत किशोर अब रणनीतिकार की जगह नेता की भूमिका में हैं. उनकी जन सुराज पार्टी ने तीन वर्षों के भीतर गांव-गांव जाकर संगठन खड़ा किया है. उन्होंने विकास और नीति-आधारित राजनीति की बात कर युवाओं और पढ़े-लिखे वर्ग में एक अलग पहचान बनाई है. बीजेपी के एक आंतरिक सर्वे के अनुसार, जन सुराज पार्टी लगभग 13 से 15 प्रतिशत वोट शेयर हासिल कर सकती है. यह वोट प्रतिशत इतना है कि यह नतीजों का गणित पूरी तरह बदल सकता है. अगर उनकी पार्टी को पर्याप्त सीटें मिलती हैं, तो बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में हंग असेंबली की संभावना भी बढ़ सकती है. ऐसी स्थिति में प्रशांत किशोर किसी भी गठबंधन के लिए निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं.

मुख्यमंत्री पद को लेकर बढ़ा राजनीतिक सस्पेंस

एनडीए की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा अब तक तय नहीं हुआ है. गृह मंत्री अमित शाह के हालिया बयान ने इस विषय पर नई अटकलें पैदा कर दी हैं. उन्होंने कहा कि “मुख्यमंत्री का चयन विधायी दल करेगा.” इस बयान के बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि अगर एनडीए बहुमत पाता है, तो क्या नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे या बीजेपी नया चेहरा सामने लाएगी. राजनीतिक जानकारों के अनुसार, बीजेपी का दीर्घकालिक लक्ष्य “प्रोजेक्ट बिहार” है, यानी राज्य में अपनी पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाना.

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