4 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस प्रशांत कुमार को लेकर आदेश दिया था कि उन्हें किसी वरिष्ठ जज के साथ डिवीजन बेंच में बैठा जाए. उनकी सिंगल बेंच को आपराधिक मामला न दें.
इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक जज को आपराधिक मामलों की सुनवाई से हटाने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने बदल दिया है. जस्टिस जे बी पारडीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच के इस आदेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस समेत कुछ अन्य जजों ने चिंता जताई थी. इलाहाबाद हाई कोर्ट के 13 जजों ने भी अपने चीफ जस्टिस को पत्र लिख कर इस आदेश को न मानने के लिए कहा था. उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट हाई कोर्ट के ऊपर प्रशासनिक नियंत्रण नहीं रखता.
सोमवार, 4 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का निपटारा कर दिया था, लेकिन इसे शुक्रवार (8 अगस्त, 2025) को एक बार फिर सुनवाई के लिए लगाया गया. जस्टिस पारडीवाला ने पहले से लिखित आदेश पढ़ते हुए कहा, 'हमसे चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने आदेश में बदलाव का आग्रह किया था. इसी के चलते मामले को दोबारा सूचीबद्ध किया गया. हमारा मकसद जज को शर्मिंदा करना या उन पर आक्षेप लगाना नहीं था. हमारी चिंता न्यायपालिका के प्रति लोगों के सम्मान को लेकर है.'
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