प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि 21वीं सदी के भारत में विज्ञान नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहा है. कुछ दिन पहले, हमारे छात्रों ने इंटरनेशनल केमिस्ट्री ओलंपियाड में पदक जीते. देवेश पंकज, संदीप कुची, देबदत्त प्रियदर्शी और उज्ज्वल केसरी ने देश का नाम रोशन किया.
नई दिल्ली:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम के 124वें एपिसोड में देशवासियों को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने भारत की समृद्ध ज्ञान परंपरा और जैवविविधता को संरक्षित करने के दो महत्वपूर्ण प्रयासों पर प्रकाश डाला. उन्होंने 'ज्ञान भारतम् मिशन' की घोषणा को ऐतिहासिक पहल बताते हुए कहा कि यह मिशन आने वाली पीढ़ियों को भारत की आत्मा से जोड़ने का माध्यम बनेगा.
प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत की समृद्ध ज्ञान परंपरा और जैवविविधता को बचाने के लिए पूरे देश में प्रयास किए जाएंगे. इससे हमारा प्राचीन ज्ञान केवल किताबों या दीवारों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि नई पीढ़ी की सोच का हिस्सा बनेगा.
पीएम ने आगे कहा इस विचार से प्रेरित होकर सरकार ने इस साल के बजट में 'ज्ञान भारतम् मिशन' शुरू किया है. इस मिशन के अंतर्गत देशभर में बिखरी प्राचीन पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण किया जाएगा. इसके बाद एक राष्ट्रीय डिजिटल रिपॉजिटरी तैयार की जाएगी, जहां भारत ही नहीं, दुनिया भर के छात्र और शोधकर्ता भारतीय ज्ञान परंपरा से जुड़ सकेंगे. उन्होंने लोगों से इस पहल में सक्रिय भागीदारी करने की अपील की.
पीएम मोदी ने कहा कि अगर आप किसी ऐसे प्रयास से जुड़े हैं या जुड़ना चाहते हैं, तो माय गॉव या संस्कृति मंत्रालय से संपर्क करें, क्योंकि ये सिर्फ पांडुलिपियां नहीं हैं, ये भारत की आत्मा के वे अध्याय हैं जिन्हें हमें आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना है. असम के प्रसिद्ध काजीरंगा नेशनल पार्क का उल्लेख करते हुए पीएम मोदी ने एक अनूठे प्रयास की सराहना की. उन्होंने बताया कि काजीरंगा, जो आमतौर पर अपने एक सींग वाले गैंडों के लिए प्रसिद्ध है, वहां पहली बार 'ग्रासलैंड बर्ड सेन्सस' यानी घासभूमि पक्षी गणना की गई है.
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