प्रभाकर मिश्रा के कान का पर्दा फट गया था. कान, नाक और मुंह से खून बह रहा था. प्रशासन की मदद से उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया. प्रभाकर मिश्रा तो बच गए, लेकिन अब उनके दाहिने कान से ही सुनाई देता है, जबकि बायां कान पूरी तरह से सुनने की क्षमता खो चुका है.
मुंबई:मुंबई ट्रेन ब्लास्ट हादसे के 19 वर्ष बीत जाने के बाद भी न्याय की उम्मीद लगाए बैठे प्रभाकर मिश्रा आज बेहद दुखी हैं. प्रभाकर मिश्रा का कहना है कि जो वेदना उन्हें 2006 के हादसे के समय हुई थी. वहीं, वेदना आज मुंबई हाईकोर्ट द्वारा सभी आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में छोड़ने से हो रही है.
प्रभाकर मिश्रा का आरोप है कि ब्लास्ट हुआ, लोगों की मौत हुई, हजारों लोग घायल हुए, फिर भी आरोपियों को छोड़ा जा रहा है. यह किसकी गलती है? यह समझ नहीं आ रहा है. किसका फेल्योर है? लीगल एड को ज्यादा पैसा मिला.. क्या ऐसा आदेश लाने के लिए? अब प्रभाकर मिश्रा को सिर्फ सुप्रीम कोर्ट से उम्मीद है. वह चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट उन लोगों की भी जांच कराए, जिन्होंने मुंबई बम ब्लास्ट के आरोपियों को छुड़वाने में मदद की.
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