SSLV प्रौद्योगिकी का HAL को हस्तांतरण भारत के निजीकरण के प्रयासों में एक प्रमुख मील का पत्थर है, भले ही यह एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हो और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी तक पहुंच को लोकतांत्रिक बनाना हो. इससे वैश्विक छोटे उपग्रह प्रक्षेपण बाजार में भारत की स्थिति को बढ़ावा मिलने और घरेलू अंतरिक्ष उद्योग में वृद्धि को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.
लड़ाकू विमान बनाने के अलावा, अब हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) छोटे भारतीय रॉकेट बनाएगा और साथ ही ऑपरेट भी करेगा. भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) ने भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि के रूप में, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), बेंगलुरु को लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) तकनीक ट्रांसफर करने की घोषणा की है. यह घोषणा IN-SPACe के अध्यक्ष डॉ. पवन के. गोयनका ने की.
IN-SPACe के अध्यक्ष से समझिए
डॉ. गोयनका ने इस तकनीक ट्रांसफर के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा दो साल की सहायता के बाद, अब HAL स्वतंत्र रूप से कमर्शियल आधार पर SSLV रॉकेटों के निर्माण, मार्केटिंग और लॉन्च के लिए जिम्मेदार होगा. यह पिछली प्रथाओं से अलग है, जहां रॉकेट इसरो या इसकी कमर्शियल शाखा, न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) की ओर से बनाए जाते थे. इस ट्रांसफर का उद्देश्य HAL को ग्लोबल स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च बाजार में एक कमर्शियल इकाई के रूप में संचालित करने के लिए सशक्त बनाना है.
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