एक्सपर्ट का मानना है कि इस सप्ताह भारतीय बाजार की दिशा पूरी तरह से मिडिल ईस्ट संकट और कच्चे तेल की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव से तय होगी.
नई दिल्ली:मिडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका और इजरायल ने ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला कर दिया, जिसके बाद पूरी दुनिया की नजर अब इस तनाव की वजह से बने हालात पर टिकी है. इस हमले से कच्चे तेल की सप्लाई को लेकर चिंता बढ़ गई है, जिसकी वजह से इंटरनेशनल मार्केट में तेल की कीमतों में तेज उछाल देखने को मिला. ब्रेंट क्रूड करीब 2.7 फीसदी बढ़कर 79.12 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया, वहीं अमेरिका का क्रूड 2.8 फीसदी चढ़कर 75.98 डॉलर पर पहुंच गया. ये तेल कीमतें जनवरी के बाद अब तक की सबसे ऊंची हैं.
तेल की कीमतें इसलिए भी तेजी से बढ़ रही हैं क्योंकि ईरान दुनिया का नौवां सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है, जो रोजाना लगभग 33 लाख बैरल कच्चा तेल बनाता है. इसमें से करीब आधा तेल ईरान एक्सपोर्ट करता है, बाकी अपने देश में इस्तेमाल करता है. अगर ईरान अमेरिका और इजरायल के जवाब में कोई बड़ा कदम उठाता है, तो वह स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज को बंद करने की कोशिश कर सकता है, जो दुनियाभर के 20 फीसदी तेल और 25 फीसदी लिक्विड गैस सप्लाई का रास्ता है.
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