India-Pakistan Tension: पहलगाम आतंकी हमले के बाद से भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है. क्या आप जानते हैं कि पाकिस्तान ने लक्षदीप पर कब्जा करने की कोशिश की थी? जानिए कैसे उसे उल्टी मुंह की खानी पड़ी थी.
India-Pakistan Tension: भारत को जब 1947 में अंग्रेजों से आजादी मिली तभी से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव शुरू हो गया था. क्या आप जानते हैं कि आजादी के तुरंत बाद पाकिस्तानी सेना ने अरब सागर में बसे खूबसूरत लक्षद्वीप द्वीप पर कब्जा करने की कोशिश की थी?
जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तब लक्षद्वीप पर किसी भी देश का सीधा अधिकार नहीं था. पाकिस्तान के नेता मोहम्मद अली जिन्ना चाहते थे कि हैदराबाद, कश्मीर और जूनागढ़ जैसे मुस्लिम बहुल इलाके पाकिस्तान में शामिल हो जाएं, लेकिन भारत के उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने अपनी बुद्धिमानी से इन रियासतों को भारत में मिला लिया. जब ये बड़े राज्य भारत में शामिल हो रहे थे, उस समय लक्षद्वीप अलग था और क्योंकि वह बहुत दूर था, इसलिए उस पर ज्यादा ध्यान नहीं गया. उस वक्त बांग्लादेश भी पाकिस्तान का हिस्सा था और उसे पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था.
जब पाकिस्तान ने बनाई लक्षद्वीप पर कब्जा करने की योजना
1947 में जब भारत का विभाजन हुआ और पाकिस्तान बना, तब भारत ने अंग्रेजों से आज़ादी के बाद कई रियासतों को अपने देश में मिलाने पर ध्यान दिया. अंग्रेजों ने इन रियासतों को यह छूट दी थी कि वे भारत या पाकिस्तान में शामिल हो सकती हैं. ज्यादातर छोटी-छोटी रियासतों ने भारत का हिस्सा बनना चुना. जब भारत बड़ी रियासतों को मिलाने में लगा था तो लक्षद्वीप जैसे छोटे द्वीप पर किसी का ध्यान नहीं गया. वहां ज़्यादातर आबादी मुस्लिम थी तो पाकिस्तान को लगा कि वह इसे अपने कब्जे में ले सकता है.
1947 के आखिर में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली खान ने लक्षद्वीप पर कब्जा करने की योजना बनाई. उन्होंने पाकिस्तानी सेना और नौसेना के साथ एक जंगी जहाज लक्षद्वीप भेजा. उन्हें आदेश दिया गया था कि अगर वहां कोई भारतीय सैनिक न मिले तो वे पाकिस्तानी झंडा फहरा दें और लक्षद्वीप पर अपना दावा कर दें.
जब पाकिस्तानी जंगी जहाज वापस लौटा
भारत को पाकिस्तान की इस योजना की खबर लग गई. उस समय भारत के गृह मंत्री और उप-प्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने तय किया कि पाकिस्तान को लक्षद्वीप पर कब्जा नहीं करने दिया जाएगा. उन्होंने त्रावणकोर के राजस्व कलेक्टर को आदेश दिया कि कुछ सैनिकों के साथ तुरंत लक्षद्वीप जाएं और वहां तिरंगा फहराएं. कलेक्टर ने पटेल का आदेश मानते हुए सैनिकों के साथ जाकर लक्षद्वीप में भारतीय झंडा फहरा दिया. कुछ समय बाद एक पाकिस्तानी जंगी जहाज वहां पहुंचा, लेकिन तिरंगा देखकर वह बिना कुछ किए वापस लौट गया. सरदार पटेल की तेज़ समझदारी से लक्षद्वीप पाकिस्तान के कब्जे में जाने से बच गया और आज यह शांत और सुंदर द्वीप भारत का हिस्सा है.
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