China Exploiting Doge S Layoffs Hiring With The Help Of Intelligence Network And Collecting Sensetive Data

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चीन अमेरिका में हुए बड़े पैमाने पर छंटनी का फायदा उठाकर पूर्व सरकारी कर्मचारियों को निशाना बना रहा है. चीनी खुफिया एजेंसियां फेक जॉब्स और कंसल्टिंग फर्मों के जरिए संवेदनशील जानकारियां चुरा रही है.

China Exploiting DOGE Layoffs: चीन अंदर ही अंदर बड़ी प्लानिंग कर रहा है, जी हां चीन खुफिया नेटवर्कों के सहारे मौका पर चौका मारने के फिराक में है. दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की DOGE (सरकारी दक्षता विभाग) नीति के तहत बड़े पैमाने पर सरकारी छंटनी हुई, जिससे हजारों सरकारी कर्मचारी बेरोजगार हो गए. चीन इसी का फायदा उठाने के लिए एक्टिव हो गया है.

चीनी खुफिया एजेंसियां बेरोजगार अमेरिकी संघीय कर्मचारियों को निशाना बना रही हैं और उन्हें फेक नौकरियों और काउंसलिंग फर्मों के जरिए संवेदनशील जानकारी लीक करने के लिए बहकाया जा रहा है.

कैसे किया जा रहा है यह ऑपरेशन?
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, चीन से जुड़े नेटवर्क फर्जी जॉब लिस्टिंग, नकली कंपनियों और फेक काउंसलिंग एजेंसियों के माध्यम से इन पूर्व सरकारी कर्मचारियों को आकर्षित कर रहे हैं. 

1. लिंक्डइन, क्रेगलिस्ट और रेडिट जैसी साइटों पर नकली नौकरियों के विज्ञापन पोस्ट किए जाते हैं.

2. पूर्व सरकारी कर्मचारियों को सीधे संपर्क कर 'सीनियर कंसल्टेंट' जैसी हाई पेइंग वाली सैलरी की ऑफर की जाती है.

3.नौकरी आवेदन प्रक्रिया के दौरान संवेदनशील जानकारी मांगी जाती है, बिना यह बताए कि इसे चीनी खुफिया एजेंसियां इस्तेमाल कर सकती हैं.

4.नए बेरोजगारों को जानबूझकर निशाना बनाया जाता है, क्योंकि वे आर्थिक रूप से जूझ रहे होते हैं और प्रलोभन में जल्दी आ सकते हैं.

DOGE छंटनी और चीन की रणनीति
DOGE की छंटनी के कारण बड़ी संख्या में अमेरिकी खुफिया, रक्षा और साइबर सुरक्षा क्षेत्रों में काम कर चुके कर्मचारी अचानक बेरोजगार हो गए. इनमें से कई अधिकारी टॉप-सीक्रेट सरकारी प्रोजेक्ट्स से जुड़े थे. विशेषज्ञों के अनुसार, चीन मुख्य रूप से उन लोगों को निशाना बना रहा है, जो हाल ही में सरकार से निकाले गए हैं और बेरोजगार हैं, जिन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा और खुफिया में काम करने का अनुभव है,जिन्हें नई नौकरी की जरूरत है और जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं.

कैसे काम करता है चीन का यह नेटवर्क?
रॉयटर्स की रिपोर्ट और साइबर सुरक्षा शोधकर्ता मैक्स लेसर की जांच के अनुसार, चीन से जुड़े कई फर्जी काउंसलिंग फर्म (रिवरमर्ज स्ट्रैटेजीज और वेवमैक्स इनोवेशन) पूर्व अमेरिकी सरकारी कर्मचारियों की भर्ती कर रही हैं.

किस प्रकार होता है इनका संचालन?
इन कंपनियों का डेटा विश्लेषण करने पर सामने आया कि ये स्मियो इंटेलिजेंस नामक एक चीनी फर्म से डिजिटल रूप से जुड़ी हैं.  नौकरी के विज्ञापन में विशेष रूप से 'हाल ही में निकाले गए अमेरिकी संघीय कर्मचारियों' को टारगेट कर बनाया जाता है. फर्जी कंपनियों के कार्यालयों के पते अक्सर खाली या शेल कंपनियों से जुड़े होते हैं. एक पूर्व कर्मचारी ने बताया कि उसे 'एरिक' और 'विल' नामक दो अनाम चीनी एजेंटों ने जॉब लिस्टिंग पोस्ट करने के लिए हज़ारों डॉलर दिए थे.

क्यों यह साइबर जासूसी का सबसे बड़ा खतरा है?
अमेरिकी न्याय विभाग ने हाल ही में एक रिपोर्ट में खुलासा किया कि चीन का यह जासूसी अभियान सिर्फ हैकिंग तक सीमित नहीं है. अब यह मानव स्रोतों को भर्ती करने पर केंद्रित है. FBI के अनुसार, चीन का यह भर्ती प्रयास ग्रह पर सबसे बड़ा साइबर जासूसी कार्यक्रम है. कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका के खिलाफ सबसे खतरनाक साइबर हमला कोई वायरस या रैनसमवेयर नहीं, बल्कि अमेरिकी एजेंसियों के भीतर असली जासूसों की भर्ती हो सकती है.

ऐसे जासूसी प्रयास पहले भी हुए हैं
बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब किसी विदेशी खुफिया एजेंसी ने इस तरह से अमेरिकी अधिकारियों को निशाना बनाया हो. CIA ने रूस में इसी तरह की रणनीति अपनाई थी, जिसमें वे डार्क वेब और टेलीग्राम पर वीडियो पोस्ट कर रूसी अधिकारियों की भर्ती करने की कोशिश कर रहे थे. वहीं, 2020 में, सिंगापुर के 'जून वेई येओ' नाम के व्यक्ति ने अमेरिकी सरकारी अधिकारियों को नकली कंसल्टिंग जॉब्स देकर जानकारी जुटाने की बात कबूल की थी.

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