Pakistan News: पाकिस्तान के सिंध और पंजाब प्रांत की सरकार में मची कलह ने शहबाज शरीफ की कुर्सी हिला दी है. पीपीपी की उपाध्यक्ष ने कहा कि गठबंधन सहयोगी PML-N को चेतावनी दी है.
पाकिस्तान में शहबाज शरीफ की सरकार पर संकट छाने लगा है. शहबाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन और बिलावट भुट्टो की पार्टी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के बीच अनबन शुरू हो गई है. शहबाज शरीफ को पीपीपी से समर्थन हासिल है. पिछले कई दिनों से बाढ़ मुआवजे और चोलिस्तान नहर परियोजना को लेकर दोनों पार्टियों के बीच एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी शुरू हो गई है.
बाढ़ मुआवजे को लेकर जुबानी जंग तेज
पाकिस्तान के सिंध प्रांत में PPP की सरकार है वहीं पंजाब में PML-N की सरकार है. बाढ़ मुआवजे को लेकर शुरू हुई जुबानी जंग सिंधु नदी पर पानी के अधिकार तक पहुंच गई. पंजाब प्रांत की सीएम मरियम नवाज ने तो यहां तक कह दिया कि वह (PPP) अपनी सलाह अपने तक ही सीमित रखें. इस बीच अब पीपीपी की उपाध्यक्ष सीनेटर शेरी रहमान ने गठबंधन सहयोगी PML-N को चेतावनी दी कि अगर उन्हें स्पष्ट समर्थन नहीं मिला तो सीनेट में मुश्किलें आएंगी.
पीपीपी नेता ने दी धमकी
पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक पीपीपी की उपाध्यक्ष शेरी रहमान ने कहा, "यदि आप पूरे गठबंधन को तोड़ना चाहते हैं तो मैंने पहले ही नेशनल असेंबली में कहा है कि हमारे सत्ता में आने को हल्के में न लें और यह न सोचें कि आप चाहे कुछ भी कर लें और हम चुप रहेंगे. यदि आपको हमारी जरूरत नहीं है तो यह आपकी पसंद है, लेकिन मैं आपको याद दिला दूं कि हम सीनेट में सबसे बड़ी पार्टी हैं और पीपीपी के स्पष्ट समर्थन के बिना आपके लिए यह बहुत मुश्किल हो जाएगा."
'पीपीपी के सुझाव को सिंध और पंजाब का मुद्दा बना दिया गया'
उन्होंने कहा, "यह मुद्दा सिंध और पंजाब के बीच का नहीं, बल्कि संघ और लोगों के बीच का है. हाल ही में आई बाढ़ से 65 लाख लोग प्रभावित हुए हैं." शेरी रहमान ने इस बात की आलोचना की है कि कैसे बेनजीर आय सहायता कार्यक्रम के माध्यम से बाढ़ पीड़ितों को सहायता प्रदान करने के पीपीपी के सुझाव को सिंध और पंजाब के बीच संघर्ष का मुद्दा बना दिया गया. उन्होंने कहा, "यह सिंध और पंजाब का मामला कैसे हो गया? क्या बाकी लोग पाकिस्तानी नहीं हैं? हम एक संघीय पार्टी हैं और पंजाब में हमारे मतदाता हैं तो आपका क्या मतलब है?"
क्या विपक्ष में बैठेगा पीपीपी?
पीपीपी के विपक्ष में बैठने के बारे में पूछे जाने पर रहमान ने कहा कि इस मुद्दे पर निर्णय केंद्रीय कार्यकारी समिति द्वारा किया जाएगा, क्योंकि यह कोई छोटा निर्णय नहीं है और पार्टी सरकार को अस्थिर नहीं करना चाहती. क्या पीपीपी अब किसी लेजिस्लेटिव प्रक्रिया का हिस्सा नहीं रहेगी? इसके जवाब में उन्होंने कहा, "गठबंधन सहयोगी को यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि हम आएंगे और आपके घरों का प्रबंधन करेंगे और आपके व्यवसाय को बढ़ावा देंगे."
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