Afghanistan-Pakistan Tension: अफगानिस्तान-पाकिस्तान के बीच पैदा हुआ संघर्ष एक क्षेत्रीय अस्थिरता का संकेत है, जहां पाकिस्तान के पास आधुनिक सेना और परमाणु क्षमता है, वहीं अफगानिस्तान इस मामले में पीछे है.
अफगानिस्तान और पाकिस्तान के रिश्ते लंबे समय से तनावपूर्ण रहे हैं. हाल के दिनों में यह तनाव एक बार फिर हिंसक झड़पों में बदल गया है. पाकिस्तान ने बीते गुरुवार (9 अक्तूबर 2025) को अफगान इलाके पर मिसाइलें दागीं, जिसके जवाब में अफगान सेना ने शनिवार (11 अक्तूबर 2025) की रात पाकिस्तान के बहरामपुर क्षेत्र में पलटवार किया. इस मुठभेड़ में पाकिस्तान के कई सैनिक मारे गए और अफगानबलों ने कुछ चौकियों पर कब्जा कर लिया. अफगान सेना ने कुछ पाकिस्तानी सैनिकों को बंदी भी बनाया है. यह पूरी घटना ड्यूरंड रेखा के पास हुई, जो दोनों देशों के बीच विवाद का प्रमुख कारण है.
ड्यूरंड रेखा लगभग दो हजार छह सौ चालीस किलोमीटर लंबी सीमा है, जो 1893 में ब्रिटिश शासन के दौरान बनाई गई थी. पाकिस्तान इसे अंतरराष्ट्रीय सीमा मानता है, लेकिन अफगानिस्तान इसे स्वीकार नहीं करता. अफगान पक्ष का मानना है कि यह सीमा पश्तून इलाकों को कृत्रिम रूप से विभाजित करती है. यही कारण है कि इस क्षेत्र में बार-बार संघर्ष और गोलीबारी की घटनाएं होती हैं.
पाकिस्तान की सैन्य स्थिति
ग्लोबल फायरपावर 2025 की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान दुनिया की बारहवीं सबसे ताकतवर सेना है. देश ने अपनी कुल अर्थव्यवस्था का लगभग ढाई प्रतिशत हिस्सा यानी दस अरब डॉलर से अधिक रक्षा खर्च में लगाया है. पाकिस्तान के पास 6,40,000+ प्रशिक्षित सैनिक हैं, 2627 टैंक हैं, 328 लड़ाकू विमान हैं. पाकिस्तानी नौसेना अरब सागर तक फैली है. इसकी मदद उसे समुद्री सुरक्षा में बढ़त देता है. पाकिस्तान की सेना तकनीकी रूप से आधुनिक है और चीन के साथ उसकी रणनीतिक साझेदारी उसकी शक्ति को और बढ़ाती है.
पाकिस्तान की परमाणु और मिसाइल क्षमता
रिपोर्टों के अनुसार पाकिस्तान अपने परमाणु कार्यक्रम पर हर साल अरबों डॉलर खर्च करता है. देश के पास विभिन्न दूरी तक मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइलें हैं, जिनका निर्माण चीन की तकनीकी मदद से हुआ. इस कारण पाकिस्तान के पास दूसरा हमला करने की क्षमता यानी सेकंड स्ट्राइक कैपेबिलिटी भी मौजूद है, जिससे उसकी रक्षा नीति और मजबूत होती है.
अफगानिस्तान की सैन्य स्थिति
अफगानिस्तान की सैन्य क्षमता पाकिस्तान की तुलना में काफी सीमित है. ग्लोबल फायरपावर की सूची में उसे एक सौ अठारहवां स्थान मिला है. 2021 में अमेरिकी समर्थित सरकार के पतन के बाद देश पर तालिबान का नियंत्रण हो गया. तालिबान ने कुछ पुराने सैन्य संसाधनों को संभाल रखा है, लेकिन उसके पास न तो आधुनिक वायुसेना है और न ही नौसेना. अधिकांश सैन्य रणनीति गुरिल्ला युद्ध पर आधारित है, जो पहाड़ी इलाकों में उपयोगी साबित होती है.
अफगान बलों की ताकत और सीमाएं
वर्तमान में अफगानिस्तान के पास लगभग अस्सी हजार सक्रिय सैनिक और 30 हजार अर्धसैनिक बल हैं. देश के पास सीमित संख्या में टैंक, बख्तरबंद वाहन और तोपखाने मौजूद हैं. कुछ पुराने लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर भी इस्तेमाल किए जाते हैं, लेकिन उनका रखरखाव मुश्किल है. मिसाइल तकनीक और आधुनिक हथियारों की कमी उसकी रक्षा क्षमता को कमजोर बनाती है.
पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच सैन्य शक्ति की तुलना
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सैन्य शक्ति की तुलना करने पर स्पष्ट रूप से अंतर दिखाई देता है. पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार, आधुनिक वायुसेना और बड़ी संख्या में प्रशिक्षित सैनिक हैं, जबकि अफगानिस्तान सीमित संसाधनों पर निर्भर है. पाकिस्तान के पास चीन और तुर्की जैसे सहयोगी देश हैं, वहीं अफगानिस्तान के पास कोई औपचारिक सहयोगी नहीं है. अफगान पक्ष की सबसे बड़ी ताकत उसकी भौगोलिक स्थिति और पहाड़ी इलाकों में लम्बे समय से चली आ रही युद्धक रणनीति है.
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