11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार धमाकों के मामले में अब बॉम्बे हाई कोर्ट ने 11 दोषियों को निर्दोष करार दे दिया है और उन्हें बरी भी कर दिया.
11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार धमाकों ने पूरे देश को हिला दिया था. इन धमाकों में 189 लोगों की मौत हो गई और 800 से ज्यादा लोग घायल हुए. 2006 को हुए धमाकों में 189 लोगों की जान चली गई थी. इस मामले में मुंबई सत्र न्यायालय ने 2015 में 13 में से 12 आरोपियों को दोषी ठहराया था. अब बॉम्बे हाई कोर्ट ने 11 दोषियों को निर्दोष करार दे दिया है और उन्हें बरी भी कर दिया. इस आतंकी हमले की पूरी टाइमलाइन सामने आई है, जिससे पता चलता है कि कैसे लश्कर-ए-तैयबा, सिमी और पाकिस्तानी आतंकियों ने मिलकर एक सुनियोजित साजिश को अंजाम दिया.
मार्च 2006
मार्च में साजिश रची जाती है. लश्कर-ए-तैयबा का आजम चीमा, सिमी और लश्कर-ए-तैयबा के दो गुटों और उनके नेताओं के साथ बहावलपुर स्थित अपनी हवेली में हुए विस्फोटों की योजना बनाता है.
11 मई 2006
50 लोगों को बहावलपुर स्थित उनके प्रशिक्षण शिविर में भेजा जाता है. उन्हें बम बनाने, बंदूकें चलाने और पूछताछ का विरोध करने का प्रशिक्षण दिया जाता है.
25 जून 2006
लश्कर-ए-तैयबा हमलावरों की घुसपैठ कराता है. कमाल अंसारी (मुख्य अभियुक्त) दो पाकिस्तानियों को नेपाल सीमा के रास्ते ले जाता है, अब्दुल मजीद पांच को बांग्लादेश सीमा के रास्ते ले जाता है और एक अज्ञात व्यक्ति कच्छ (गुजरात) से चार लोगों को ले जाता है.
27 जून 2006
11 लोगों को मुंबई के उपनगरों में 4 अलग-अलग जगहों पर रखा गया है. दो मलाड में, चार बांद्रा में दो बोरीवली में और तीन मुंब्रा में.
8-10 जुलाई, 2006
साजिश रची जाती है. लश्कर-ए-तैयबा का आजम चीमा, सिमी और लश्कर-ए-तैयबा के दो गुटों और उनके नेताओं के साथ बहावलपुर स्थित अपनी हवेली में हुए विस्फोटों की योजना बनाता है.
11 जुलाई 2006
आतंकवादी सात समूहों में बंट जाते हैं, दो भारतीय और एक पाकिस्तानी. प्रत्येक समूह अखबारों से ढके काले रेक्सीन बैग में एक प्रेशर कुकर रखता है. आतंकवादी चर्चगेट स्टेशन पर उतरते हैं और प्लेटफॉर्म को जोड़ने वाली मेट्रो का इस्तेमाल करके ट्रेन में चढ़ते हैं. हालांकि, भीड़ के कारण एक हमलावर ट्रेन में ही छूट जाता है और विस्फोट में मारा जाता है.
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